Meaning of stock exchange in Hindi
स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है ?
स्टॉक एक्सचेंज दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है एक स्टॉक और दूसरा एक्सचेंज किसी कंपनी के शेयर या बांड को स्टॉक कहा जाता है और एक्सचेंज का मतलब खरीदना और बेचना होता है स्टॉक एक्सचेंज को इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर निवेशक या ट्रेडर शेयर, बांड या सरकारी प्रतिभूतियाँ को खरीदते या बेचते हैं निवेशक केवल उन्हीं कंपनी के शेयर को खरीद या बेच सकते हैं जो कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं.
स्टॉक एक्सचेंज का नियामक SEBI होता है स्टॉक एक्सचेंज सेबी के नियमों के अंतर्गत ही काम करते हैं. जब किसी कंपनी को फण्ड जुटाने के लिए शेयर बाजार में पैसा उठाना होता है तो कम्पनी को पहले खुद को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करवाना होता है जिससे कि निवेशक कंपनी के शेयरों में निवेश कर सके |
अर्थव्यवस्था में स्टॉक एक्सचेंज की बहुमुखी भूमिका होती है जहां स्टॉक एक्सचेंज अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर होता है विभिन्न प्रकार के बिजनेस के लिए पूंजी का प्रबंध करना बचत को निवेश के लिए गतिमान करना कंपनियों के वृद्धि और विकास के लिए सुविधाएं प्रदान करना प्रॉफिट शेयरिंग कॉरपोरेट गवर्नेंस स्माल इंवेस्टर्स के लिए निवेश के अवसर प्रदान करना विकासात्मक प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार को पूंजी जुटाने में सहयोग देना |
स्टॉक एक्सचेंज स्टॉक ब्रोकर्स और ट्रेडर्स को स्टॉक्स व सिक्योरिटीज में ट्रेड करने के लिए एक प्लेटफॉर्म मुहैय्या कराता है यह सिक्योरिटीज को जारी करने व वापस लेने की सुविधा प्रदान करने के साथ ही अन्य फिनांशियल इंस्ट्रूमेंट तथा कैपिटल इवेंट्स और डिविडेंड व आय के वितरण के लिए भी आधार का कार्य करता है. अमूमन स्टॉक एक्सचेंज में कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले शेयर, यूनिट ट्रस्ट्स, डेरिवेटिव्स, पूल्ड इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट और बांडों की खरीद-बिक्री होती है |
कोई भी व्यक्ति सीधे स्टॉक एक्सचेंज से Share खरीद नहीं सकता है बल्कि ब्रोकर के पास अपना ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट ओपन करवाना होता है और उस ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट के जरिये शेयर को Buy और Sell करना होता है सभी ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के मेंबर होते है |
भारत में स्टॉक एक्सचेंज – Stock Exchange In India
भारत में स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत 1875 में हुयी थी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे पहला और सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जो वर्तमान में भी कार्यरत है
इस समय भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज है लेकिन उनमें से केवल 2 राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज है NSE (National Stock Exchange) और BSE (Bombay Stock Exchange) बाकि 21 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज है सेबी ने 15 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज को अपने काम काज को बंद करने का आदेश दे दिया है भारत में भविष्य के अंदर केवल 2 Stock एक्सचेंज ही प्रमुख रहेंगे NSE और BSE.
- NSE (National Stock Exchange): NSE भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है भारत में सबसे ज्यादा खरीदी या बिक्री NSE में होती है NSE की शुरुआत 1992 में हुयी थी NSE भारत का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसने इलेट्रॉनिक तरीके से Share को Buy और Sell करना शुरू किया था, NSE में लगभग 2000 कम्पनिया लिस्टेड है NSE का प्रमुख Index (सूचकांक) Nifty 50 है NSDL NSE के लिए Depository Service प्रोवाइड करती है NSE के बारे में ज्यादा जानकारी NSE की वेबसाइट https://www.nseindia.com से प्राप्त कर सकते है।
- BSE (Bombay Stock ExchBSE (Bombay Stock Exchange): BSE भारत का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है BSE की शुरुआत 1875 में हुयी थी भारत में सर्वप्रथम Equity Derivatives ट्रेडिंग की शुरुआत BSE ने की थी BSE में 5000 से भी ज्यादा कंपनिया लिस्टेड है BSE का प्रमुख Index (सूचकांक) Sensex 30 है CDSL BSE के लिए Depository Service प्रोवाइड करती है BSE के बारे में ज्यादा जानकारी BSE की वेबसाइट https://www.bseindia.com से प्राप्त कर सकते है।
- MCX (Multi Commodity Exchange): MCX एक कमोडिटी एक्सचेंज है MCX में मुख्य रूप से Bullion में ही ट्रेड होता है जिसका अर्थ है की इसमें केवल कमोडिटी जैसे: Gold, Silver, Crudeoil, Zinc etc ट्रेड होती है। MCX के बारे में ज्यादा जानकारी MCX की वेबसाइट https://www.mcxindia.com से प्राप्त कर सकते है।
- NCDEX (National Commodity and Derivatives Exchange): NCDEX भी एक कमोडिटी एक्सचेंज है लेकिन इसमें केवल Agriculture Commodity ही ट्रेड की जाती है जैसे: चना, दाल, जीरा, सोयाबीन आदि ट्रेड होती है।NCDEX के बारे में ज्यादा जानकारी NCDEX की वेबसाइट https://www.ncdex.com से प्राप्त कर सकते है।
स्टॉक्स एक्सचेंज कैसे काम करता है –
स्टॉक एक्सचेंज निवेशक और कंपनी के बीच में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है. जब कंपनी को फण्ड जुटाने के लिए पैसों की जरुरत होती है तो वह कुछ अपने कुछ प्रतिशत शेयर आम जनता के लिए सार्वजनिक करती है
कंपनी को शेयर सार्वजनिक करने के लिए पहले खुद को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करवाना होता है, एक बार कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है तो निवेशक ब्रोकर के द्वारा कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग कर सकते हैं जो ब्रोकर होता है वह स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है.
एक निवेशक सीधे तौर पर स्टॉक एक्सचेंज से शेयर नहीं खरीद सकता है शेयर बाजार में हर समय शेयर खरीदने और बेचने के लिए अनेक सारे लोग उपलब्ध होते हैं जब कोई निवेशक शेयर को खरीदना या बेचना चाहता है तो वह अपने आर्डर को लगा देता है फिर स्टॉक एक्सचेंज का ट्रेडिंग सिस्टम स्वतः ही खरीदने और बेचने वाले को Match करवाकर Order Complete कर देता है.
स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करने के तरीके
स्टॉक एक्सचेंज में दो प्रकार से निवेश किया जाता है –
- प्राइमरी मार्केट
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर को मार्केट में लाती है तो उसे IPO कहा जाता है निवेशक जब कंपनी के IPO को खरीदता है तो उसे प्राइमरी मार्केट में खरीदना पड़ता है. मतलब कि प्राइमरी मार्केट में वह किसी अन्य निवेशक से कंपनी के शेयर को नहीं खरीद रहा है प्राइमरी मार्केट में ही शेयर या प्रतिभूतियों का निर्माण होता है |
2. सेकेंडरी मार्केट
वास्तव में सेकेंडरी मार्केट को ही शेयर बाजार कहा जाता है. सेकेंडरी मार्केट में निवेशक कंपनियों को शामिल किये बिना शेयर में ट्रेड करते हैं यानि कि सेकेंडरी मार्केट ऐसा मार्केट होता है जहाँ पर निवेशक सीधे तौर पर कंपनी से शेयर नहीं खरीदते हैं, कंपनियों के शेयरों को उन्हें अन्य निवेशकों से खरीदना पड़ता है |