शरीफ़ थे तो नहीं बोले,
अगर थोड़े भी बेशर्म होते,
बराबर की टक्कर देते
चाँद हो या सूरज, चमकते सब हैं
अपना वक़्त आने पर
वसीयत अपने नाम लिखने से कुछ नही होता,
ये तो उड़ान तय करती है कि आसमान किसका होगा।
बहुत छोटा है कद ए आसमान तेरा,
तुझसे ऊँची तो में अपने होंसलो की उड़ान रखता हूँ.
बड़े सपने देखने वाले,
अपने सपनो की उड़ान,
किसी से पूछकर नहीं भरते.
चाहत बेशक आसमान छूने की रखो,
लेकिन पैर हमेशा ज़मीं पर रखो।