GST kya hai full detail in Hindi

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जीएसटी क्या है? GST in Hindi | फुल फॉर्म, अर्थ और फायदे

GST ऐसा टैक्स है, जो किसी सामान को खरीदने या किसी सर्विस को प्राप्त करने पर चुकाना पड़ता है। लागू होने के 5 साल बाद भी, इसकी बहुत सी बातें, लोगों को समझ में नहीं आतीं। लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखकर, हमने यह लेख तैयार किया है। इसमें हमने जीएसटी के प्रमुख नियमों और तथ्यों को आसान शब्दों में समझाया है।

जीएसटी क्या है ?( What is GST? )

जीएसटी का Full Form होता है (Goods And Services Tax) हिन्दी में इसका अर्थ होता है- माल एवं सेवा कर। इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है।

वस्तु एवं सेवा कर ( संक्षेप मे: वसेक या जीएसटी अंग्रेज़ी: GST, अंग्रेज़ी: Goods and Services Tax) भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।

इसके लागू होने से केन्द्र सरकार एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू हो गयी है  इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था।

वस्तु एवं सेवा कर, वस्तु एवं सेवा कर परिषद द्वारा संचालित है। भारत के वित्त मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। जीएसटी के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को निम्न दरों पर लगाया जाता है, 0%, 5%, 12%, 18% और,28% (5 TYPES) । मोटे कीमती और अर्ध कीमती पत्थरों पर 0.25% की एक विशेष दर तथा सोने पर 3% की दर है।

 जीएसटी लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी?

  • भारतीय संविधान में Tax संबंधी जो पुराने नियम थे, उनमें वस्तुओं के उत्पादन (Production/Manufacturing) और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार (Central Government) के पास था। जबकि,वस्तुओं की बिक्री (Sale) पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों (State Government) को दिया गया था।
  • सबने अपने-अपने हिसाब से Tax बनाए और Categories तय कर दीं। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई Tax लद गए। कभी-कभी तो टैक्स के उपर Tax के हालात भी बन गए। छोटे व्यापारियों और कंपनियों के लिए, इनके  नियम – कानूनों से निपटना बड़ा मुश्किल काम था।
  • इन विसंगतियों को दूर करने के लिए GST को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया है, ​जो माल एवं सेवा दोनों पर लग सके। और, जिसे Production से लेकर Sale तक लगाया जा सके।
  • Production और Sale का अलग-अलग पेंच खत्म करने के ​लिए GST का सिर्फ एक आधार तय कर दिया गया, Supply इसके लिए बाकायदा Tax कानूनों में बदलाव किया गया  और संसद में बाकायदा संविधान संशोधन (Constitution Amendment) की प्रक्रिया अपनाई गई।

जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं / Major Features Of GST

उत्पादन की बजाय उपभोग पर टैक्स  (Tax on Consumption) – जीएसटी खराब होने पर, खराब होने पर (माल) या सेवा (सेवा) को I आइटम या सेवा की अंतिम व्यवस्था भी शामिल है। वसुु या सेवा की सप्लाई दीने वाला (विक्रेता), इस एसएपीएलएई लेने वारे (उपभोक्ता) से वसूलता है। बाद में सरकार के खाते मे जाम कर रहा हूँ। मतलब यह है कि, GST की कमी की वजह से सेवा में कमी आती है। किसी वस्तु या सेवा के साथ, बार खरीद-बिक्री की प्रक्रिया, हर बार जीएसटी सहायक होगा।

इनपुट क्रेडिट सिस्टम से टैक्स वापसी (Input Credit System) –

किसी वस्तु के उत्पादन से लेकर, अंतिम उपभोक्ता के हाथ पहुंचने तक कई बार खरीदे-बेचे जाने की प्रक्रिया होती है। अब चूंकि, GST सिस्टम में, हर खरीद-बिक्री पर टैक्स चुकाना पड़ता है। ऐसे में, वस्तु, अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने तक बहुत महंगी हो जानी चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि इसमें Input Credit System लागू होता है। इस सिस्टम में, आखिरी स्टेज पर टैक्स लगने से पहले जहां-जहां Tax जमा किया गया है,उसको वापस पाने की भी व्यवस्था है।

अगर आप अंतिम या वास्तविक उपभोक्ता नहीं हैं और पहले के किसी Stage में आपने GST जीएसटी जमा किया है तो उसके बदले आपको Credits मिलते हैं। इन Credits का इस्तेमाल आप, सरकार को GST भुगतान के लिए कर सकते हैं।

हर महीने GST रिटर्न भरने के दौरान आप Tax Credit System के माध्यम से अपना GST एडजस्ट करा सकते हैं। ये Tax Credit System क्या है, इसको अलग से हमने Example के साथ नीचे समझाया है।

टैक्स पर टैक्स नहीं चढ़ेगा (No Cascading Of Taxes) –

GST के पहले जो टैक्स व्यवस्था लागू थी, उसमें न सिर्फ एक   वस्तु पर, कई अलग-अलग Tax लगते थे, बल्कि कई मामलों में, टैक्स के ऊपर Tax  भी लग जाते थे। ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि बहुत सी वस्तुएं दो या दो से अधिक तरह की  Categories में आ जाती थीं। अब ये दिक्कत खत्म हो गई है।

क्योंकि अब GST अंतिम रूप से Consumer को ही अदा करना है। बीच में अगर किसी को GST चुकाना पड़ा है तो, उसका पैसा टैक्स क्रेडिट सिस्टम से Adjust हो जाता है।

पूरी तरह ऑनलाइन सिस्टम , पकड़ में आएगी गड़बड़ी –

GST सिस्टम में सारे सौदों की जानकारी Online अपडेट रखनी है। हर सौदे की रसीद, सप्लाई लेने वाले और सप्लाई देने वाले, दोनों के पास रहेगी। दोनों  अपनी-अपनी रसीदों की मदद से Tax Credit पा सकेंगे।

सौदों का ​मिलान न हुआ तो Online ही गडबड़ी पकड़ में आ जाएगी। हर स्टेज पर  GST जमा होने की ​जिम्मेदारी  उपर वाले कारोबारी की होने से Tax भुगतान की चेन नहीं टूटेगी। क्योंकि कोई भी कारोबारी अपने Credit का नुकसान नहीं करना चाहेगा

टैक्स रेट पर मनमानी नहीं (No Arbitrary Rates) –

पहले के टैक्स सिस्टम में. राज्य सरकारें अपने यहां ​बिकने वाले सामान पर अपनी मर्जी से Tax लगा देती थीं। इसका Rate भी अपने-अपने हिसाब से तय करती थीं। अब ऐसा नहीं होगा। GST के रेट में किसी तरह के बदलाव के लिए जीएसटी परिषद (GST Council) बनाई गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री (Central Finance Minister) इस परिषद के अध्यक्ष होंगे। सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी इसके सदस्य होंगे।

जीएसटी काउंसिल के किसी किसी फैसले पर, केंद्र के पास एक तिहाई शक्ति Vote की शक्ति होगी, और दो-तिहाई शक्ति राज्य सरकारों के पास होगी। हर राज्य की Voting Power बराबर होगी। परिषद के किसी भी फैसले को मंजूरी मिलने के लिए उसे Council के तीन चौथाई Votes की जरूरत होगी।

जीएसटी हर वर्ग के लिए फायदेमंद कैसे ? (How GST is Beneficial of Every Class)

सामान्य लोगों के लिए फायदे | Advantages for Common People

  • वस्तुओं पर तरह-तरह के Tax से छुटकारा मिल गया है। टैक्स के उपर Tax खत्म होने से वस्तुओं की लागत में अनावश्यक बढ़ोतरी नहीं हो पाती। इससे सामान्य उपभोक्ता के यह फायदे की स्थिति है।
  • जीवन के लिए बहुी ज्यादा जरूरी चीजों पर Tax के Rate कम रखे गए हैं। इससे सामान्य लोगों के ज्यादा काम आने वाली चीजें सस्ते में मिल सकेंगी। गरीब और कम आमदनी वाले लोगों को राहत रहेगी।
  • कारोबार का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा GST के दायरे में आ जाने से सरकार की आमदनी बढ़ेगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी आम लोगों की सुविधाओं में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।

व्यवसायियों के लिए फायदे ( Advantages for Businessmen)

  • हर राज्य में Taxes का अलग-अलग ढांचा होने से, सामान कारोबारियों के लिए, उसे समझना आसान नहीं था। तरह-तरह की चुंगियां अलग से बोझ बढ़ाती थी। टैक्स अधिकारी और कर्मचारी भी नियमों की पेचीदगियों का गलत फायदा उठाते थे। अब कारोबारियों को इन झंझटों से नहीं गुजरना पड़ेगा। कारोबार आसान और तेज गति से होगा। इससे आखिरकार, फायदे की मात्रा भी बढ़ेगी।
  • GST सिस्टम में कारोबार संबंधी सारे Documents ऑनलाइन होते हैं। इससे, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं किया जा सकेगा। किसी तरह की गलती होने पर या Document खो जाने पर उसे Online ही सुधारने की सुविधा होगी। कारोबारियों के बेमतलब, दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
  • लघु उद्योगों और उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र व राज्य सरकारें रियायत देती हैं। इसका फायदा उठाने के लिए बड़े कारोबारी भी अपने बड़े उद्यम को ही कई छोटे-छोटे हिस्सों में करके दिखाते थे। GST सिस्टम में, इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कंपनियां ज्यादा सस्ता और प्रतियोगी माल बना सकेंगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टक्कर देने लायक माल बनाया जा सकेगा।

सरकार व प्रशासन के लिए| For Government And Administration

  • पहले जो सिस्टम था, उसमें Market का बहुत बड़ा हिस्सा अंडर ग्राउंड होता था। वस्तुओं के उत्पादन से लेकर बिक्री तक की श्रृंखला में बहुत सी जगहों पर काम दिखाया ही नहीं जाता था। उन पर Tax भी सरकार को नहीं मिल पाता। अब GST में ऐसे छूटे लोग भी Tax की इस चेन में जुड़ जाएंगे। सरकार की Income बढेगी।
  • हर स्टेज पर खरीदारी और बिक्री की रसीदों का मिलान होना जरूरी होगा। तभी पहले के Stages में जमा किया गया Tax Credit का फायदा कारोबारियों को मिल सकेगा। इस चेन में चूंकि हर किसी को Bill देना और बाद में उनकी रसीद पेश करना जरूरी होगा। इसलिए Market पूरी तरह Accounted हो जाएगा और Black Market पर लगाम लगेगी।
  • पहले जो टैक्स सिस्टम था, उसमें एक ही वस्तु, अगल-अलग राज्यों में अलग-अलग दाम पर मिलती थी। कुछ लोग इसका फायदा उठाते थे और आसपास के राज्यों से सस्ते सामान की तस्करी करने लगते थे। अब पूरे देश में एक जैसा टैक्स होने से वस्तुओं के दाम एक जैसे होंगे। इससे तस्करी पर लगाम लगेगी।
  • Taxes की संख्या कम होने से केन्द्रा और राज्यr के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भार कम होगा। Registration और Tax भुगतान संबंधी सारे Detail ऑनलाइन होने से निगरानी बहुत आसान होगी। Recovery की लागत में कमी आएगी। सरकारों के लिए Tax Administration और Management का काम बहुत आसान हो जाएगा।

चार नामों से वसूला जाता है जीएसटी | 4 types Of GST

जीएसटी वैसे तो एक ही टैक्स होता है, लेकिन, इसे चार अलग-अलग नामों से लिया जाता है

  • सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (CGST) – Central Goods and Service Tax अगर कोई सौदा (लेन-देन) एक ही राज्य के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो केंद्र सरकार के हिस्से के रूप में CGST को चुकाना पड़ता है।
  • स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (SGST) – State Goods and Service Tax – अगर कोई सौदा (लेन-देन) एक ही राज्य के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो, उस राज्य सरकार के हिस्से के रूप में SGST चुकाना पड़ता है।
  • यूनियन टेरेटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (UTGST/UGST) – Union Territory Goods and Service Tax – अगर कोई सौदा (लेन-देन), किसी केंद्र शासित राज्य (UT) के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो, उस केंद्र शासित राज्य के हिस्से के रूप में UTGST चुकाना पड़ता है। इसी को UTGST भी कहते हैं।
  • इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (IGST) – Integrated Goods and Service Tax – अगर कोई सौदा (लेन-देन), दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच हो रहा हो तो, केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों का हिस्सा, एकसाथ IGST के रूप में चुकाना पड़ता है। इसे अकेले केंद्र सरकार के पास जमा किया जाता है। बाद में केंद्र सरकार की ओर से, राज्य सरकार के हिस्से का टैक्स भेज दिया जाता है। IGST में हिस्सा उस राज्य को मिलता है, जिसे कि सप्लाई भेजी जाती है।

Note: राज्य के अंदर लेन-देन की स्थितियों में आपको हर Deal पर दो Tax देने पड़ेंगे। केंद सरकार को CGST और राज्य सरकार को SGST। दो राज्यों के बीच लेन – देन की स्थिति में सिर्फ एक टैक्स देना पड़ेगा IGST वह भी सिर्फ केंद्र सरकार को। हालांकि इस IGST में बाद में उपभोग करने वाले राज्य को हिस्सा मिलता है।

For Example : मान लेते हैं कि एक Company ने थोक व्यापारी से कच्चा माल खरीदा। सौदे के दोनों पक्ष एक ही राज्य के अंदर स्थित हैं। कुल माल 10 लाख रुपए का है और इस पर 18 प्रतिशत GST लगता है। यह सौदा होने पर थोक व्यापारी उस कंपनी से 10 लाख की खरीद पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूलेगा। केंद्र और राज्य दोनों के Tax Department को वह आधा-आधा यानी 90-90 हजार रुपए जमा कर देगा। इससे अलग अगर सौदा दो राज्यों के दो पक्षों के बीच हो रहा है तो सिर्फ IGST के रूप में 1 लाख 80 हजार रुपए केंद्र सरकार को देने पड़ेंगे।

GST kya hai ?

GST का अर्थ है Goods and Services Tax. आसान शब्दों में कहे तो GST पुरे देश के लिए Indirect Tax है, जो भारत को एक जैसा बाजार बनाएगा. 17 साल की कवायद के बाद यह 1 जुलाई 2017 से देशभर में लागू हुआ था. GST इसलिए लाया गया था क्यों कि एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती थी. GST लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी goods एक ही कीमत पर मिलेंगे.

GST के प्रकार?

1. CGST
2. IGST
3. SGST

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