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Ameer banne ka tarika in Hindi
अमीर बनने के 13 पक्के तरीके
भूमिका
साल 2014 में मैंने जब ’13 स्टेप्स टू ब्लडी गुड लक’ लिखी तो मेरे पास पाठकों के इमेल, ट्वीट्स, फेसबुक पोस्ट और चिट्ठियों की बाढ़ सी आ गई। इसमें पाठकों ने लिखा कि इस किताब ने उनकी जिंदगी और कैरियर को संवारने का रास्ता दिखाया।
लेकिन इन सबसे हटकर एक खास ईमेल ने मेरा ध्यान खींचा। ईमेल भेजने वाला एक छात्र था जिसने हैरानी जताई कि क्या वाकई जिंदगी की चुनौतियों के समाधान के लिए ’13 क़दम’ जैसे क़दम सुझाए जा सकते हैं? इसने मुझे सोचने के लिए बाध्य कर दिया।
कुछ दिनों के बाद मैं अपने दोस्त सुनील दयाल के साथ बात कर रहा था। सुनील और मैं एक-दूसरे को मुंबई के कैथीड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज के दिनों से जानते हैं। मैंने देखा कि कैसे उन्होंने अपने परिवार के लिए भाग्य का निर्माण करने में अनुशासन और धैर्य के साथ काम किया। मैंने उनके सामने विनम्रतापूर्वक एक किताब ‘संपत्ति निर्माण के 13 क़दम’ लिखने का विचार रखा।
__ मैं ही क्यों? सुनील ने पूछा। ‘मैं ना तो एक बैंकर हूं और ना ही चार्टर्ड अकाउंटेंट। मैंने कभी म्यूचुअल फंड का प्रबंधन या वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी में काम नहीं किया है। और ना ही मेरे पास वित्त विषय में एमबीए की डिग्री है।’
मैंने उनसे कहा, ‘निश्चित रूप से यह सब वजहें हैं जिसकी वजह से आपको किताब लिखनी चाहिए’, ‘कोई भी मूर्ख आसान सी चीज़ को जटिल बना कर दिखा सकता है, लेकिन इस बात के लिए प्रतिभा चाहिए कि जटिल चीज़ को सामान्य दिखा सके। यही है वो चीज़ जो आप कर सकते हो।’
सुनील की सहमति पाने के लिए मुझे उन्हें थोड़ा मनाना पड़ा और उसके बाद वो यह सब करने के लिए भा तयार हुए जब म इस किताब का सह लेखक बनने के लिए तैयार हुआ।
मैं खुश हूं कि मैं इस मामले में डटा रहा। सुनील ने बिना किसी बैंकिंग और वित्त आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा बने दशकों तक अपनी संपत्ति का प्रबंधन किया और आगे बढ़ाया। इसने उन्हें वित्तीय उत्पाद और निवेश के विकल्प में निष्पक्ष बना दिया। उनसे बेहतर तटस्थ सलाह कौन दे सकता है?
प्रेरक वक्ता जिग जिगलर ने एक बार मजाक किया, ‘जिंदगी में धन बहुत महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन हमारी जीवन की इसकी जरूरत ऑक्सीजन की जितनी ही है।’ उन्होंने निर्विवाद तथ्य पेश किया कि यह हमारी जिंदगी के अहम हिस्से का निर्माण करता है।
मैं ’13 स्टेप्स टू ब्लडी गुड वेल्थ’ किताब अपने पाठकों के लिए पेश करने पर बेहद खुश हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि सुनील अपनी जिंदगी भर की शिक्षा को इन तेरह सरल क़दमों से व्यक्त करने में सफल रहे हैं जिनका अनुसरण कोई भी कर सकता है।
प्रस्तावना
दौलत के बारे में लिखने का अधिकार मुझे किसने दिया? मैं कोई बैंकर नहीं हूं, मेरे पास कोई एमबीए की डिग्री नहीं है, ना ही मैंने कभी वित्तीय सेवा उद्योग में ही काम किया है। लेकिन मैं हमेशा इन सेवाओं का उपभोक्ता बना रहा।
हम लोगों में से सभी ने बैंकों के लुभावने प्रचार देखे होंगे जिससे हमें यह अहसास होता है कि जैसे बैंक हमारे साथ है और वह हमारी जिंदगी के हर मोड़ पर हमारी सहायता करता है। लेकिन सच्चाई वास्तविकता से ज्यादा दूर नहीं रह सकती है। सामान्य सच्चाई यह है कि ये सभी बैंक अच्छी विज्ञापन एजेंसियों की सेवाएं लेते हैं।
___ मुझे इस तरह के कुछ बैंकों के साथ अपना भयावह लेनदेन याद है, जिन बैंकों का नाम एक परिवार की तरह लिया जाता है, और उन्होंने ऊपरी तौर पर पैसे के प्रबंधन में मेरी मदद की थी। इन बैंकों ने वास्तव में हमारे साथ क्या किया?
एक बैंक ने तो फोरेन एक्सचेंज के नाम पर 0.05 फीसदी की जगह एक फीसदी चार्ज वसूल लिया। दूसरे बैंक ने एकसेल फोन के लिए डायरेक्ट डेबिट सेवा शुरू करवाने के लिए मुझे तीन शाखाओं में खूब दौड़ाया। तीसरे बैंक ने ख़राब निवेश रणनीति के कारण मेरे 25 फीसदी इक्विटी पोर्टफोलियो का नुकसान कर दिया।
माना जाता है कि अमेरिकन कार्टूनिस्ट किन हुबार्ड ने एक बार कहा था कि अपने पैसे को दोगुना करने का एक साधारण तरीका यह है कि इसे मोड़कर अपने जेब में रख लें। ऐसा लगता है कि हुबार्ड ने वित्तीय संस्थानों की मदद ली होगी।
मैं इन सभी घटनाओं का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप भी इस तरह के संस्थानों के संपर्क में आए होंगे। चाहे यह गलत उत्पाद के बेचने का मामला हो, ज्यादा फीस ली गई हो या आपको आपके सवालों का जवाब नहीं मिला हो, हम सभी इस तरह के चेहरा विहीन नौकरशाही का शिकार हुए हैं।
यह पूरे इंडस्ट्री की बहुत बड़ी संरचनात्मक समस्या बन गई है जहां बैंकों और उनके कर्मचारियों को अक्सर उन तरीकों से आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है जो उपभोक्ताओं के हित में नहीं है।
इस तरह के संस्थान अक्सर हमारी अज्ञानता का कभी जानबूझकर तो कभी तो अफसरशाही की वजह से फायदा उठा लेते हैं। इन लोगों के साथ तकलीफदेय मुलाकातों के बाद मैं जिंदगी की कुछ वास्तविक सच्चाइयों को जान पाया, और साथ ही यह भी महसूस किया कि इसे लोगों के साथ बांटा जाना चाहिए। अगर आप मेरे अनुभव से फायदा उठा सकें तो यह आपके सीखने को और तेज और आसान बना देगा।
इस तरह के मशहूर वैश्विक संस्थानों के द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद मेरे अंदर संपत्ति प्रबंधन उद्योग कैसे काम करता है, उसके बारे में सब कुछ जानने की इच्छा जाग गई। पिछले दस सालों में, इसकी वजह से मैं दिलचस्प राहों से होकर गुजर रहा हूं। मैंने किताबें, लोगों की राय और रिपोर्ट पढ़ीं। मैंने अपने सहकर्मियों से सीखा और उद्योग जगत के दिग्गजों के दिमाग को समझने की कोशिश की।
मैंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस और कोलंबिया यूनीवर्सिटी के व्हार्टन में परंपरागत क्लासरूम में प्रबंधक शिक्षा कार्यक्रम भी सीखा। लेकिन लोगों से बात करके, वास्तविक जीवन की स्थितियों को संभालकर और सामान्य विवेक का अच्छी तरह से इस्तेमाल करते हुए मैंने सबसे अच्छी तरह से सीख ली।
मैंने बतौर ग्राहक उन अनुभवों को लिया है ताकि धन के विषय से जुड़े रहस्य पर से पर्दा हटा सकूँ। मैंने अपने सिद्धांतों, व्यक्तिगत शोध और कई सालों के व्यावहारिक अनुभवों से जो सीखा वह सब इस किताब में शामिल किया गया है। मुझे उम्मीद है कि इस किताब को पढ़कर आप खुद के लिए बेहतर मनी मैनेजर बन पाएंगें।
मेरा मानना है कि कोई भी उद्योग लंबे समय तक प्रगति नहीं कर सकता है जब तक कि विक्रेता और ग्राहक साथ-साथ मुनाफा और विकास ना करें।
दुर्भाग्यवश, इस दुनिया में वित्तीय सेवा उद्योग दुनिया के कुछ अंतिम उद्योगों में से हैं जो इस तरह मुनाफा कमाते हैं कि वो हमेशा ग्राहक के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता है। हालांकि, इसमें अब बदलाव आ रहा है। तकनीक अपनी ताकत दिखा रही है और वर्तमान यथास्थिति को तोड़कर
अंतिम छोर पर खड़े ग्राहक को सशक्त बना रही है। इसलिए अगर आप तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन भुगतान कर रहे हैं या वित्तीय उत्पाद में निवेश कर रहे हैं, तो आप यह सब बेहद, पारदर्शी, किफायती और सुरक्षित वातावरण में कर सकते हैं।
पूरा खुलासा करते हुए मैं पूरी मजबूती के साथ सबसे अंतिम छोर पर खड़े ग्राहक के साथ खड़ा हूं और आशा करता हूं कि मेरे जो मित्र वित्तीय सेवा में हैं वे इसका सम्मान करेंगे।
संपत्ति निर्माण और विकास को लेकर मेरे पास कुछ साफ राय है। चुनौती मिलने पर मुझे प्रसन्नता होगी और अगर मैं गलत साबित हुआ तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी अपना रवैया बदल लूंगा। मेरा डीएनए जटिल हालात को स्वीकार करके उसे व्यावहारिक, काम करने योग्य आसान समाधान में बदलने को आतुर रहता है।
मैं ये समाधान मजबूत तथ्यों के आधार पर ही बनाता हूं। मुझे विश्वास है कि यह किताब इसी तरह का काम करेगी और कठिन मामलों का आसान समाधान पेश करेगी।
आयरिश नाटककार ऑस्कर वाइल्ड ने एक बार कहा था, ‘जब मैं जवान था, मुझे लगता था कि जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण दौलत ही है, और आज जब मैं बूढ़ा हूं तब मुझे लगता है कि ऐसा ही है। इसलिए आइए जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ की खोज में मेरे साथ जुड़िए?
सुनील दलाल मुंबई, 2016
पहला क़दम आपके लिए धन क्या है?
महाभारत की एक अनोखी कहानी है। एक दिन कौरवों ने राजा विराट के शासन वाले एक गांव पर हमला किया और उनके मवेशी चुरा कर ले गए। पांडवों को राजा की रक्षा के लिए आगे आना पड़ा और उन्होंने राजा के मवेशियों को बचा लिया।
हालांकि देखने में यह बहुत छोटी सी बात लगती है, लेकिन मुझे इस कहानी पर हमेशा से आश्चर्य होता था। भारतीय इतिहास के सबसे महान योद्धा गायें चुराते थे? अर्जुन का चरित्र तो मुझे हमेशा से पसंद था। एक साहसी, ईमानदार और लक्ष्य के लिए समर्पित व्यक्ति।
मेरा मतलब है कि उसमें ऐसा क्या है जिसे पसंद ना किया जाए? लेकिन इतने महान व्यक्ति का गायों की चोरी को रोकने के लिए आगे आना सुनने में कुछ अजीब लगता है।
लेकिन इतिहास के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि हर बदलती शताब्दी के साथ धन का मतलब भी बदलता गया। दस हजार साल पहले, एक तेज धार का भाला या कुल्हाड़ी ही सम्पत्ति होगी। आठ हजार साल पहले यह सम्पत्ति एक टोकरी मछली रही होगी जिसके बदले में एक बोरी चावल लिया जा सकता था।
सदियों पहले हमारे भारतीय पूर्वज कौड़ियों को धन के रूप में इस्तेमाल करते थे और कौड़ियों का ऐसा इस्तेमाल चीन और अफ्रीका में भी होता था। इसके विपरीत, आज हम कौड़ियों को समुद्री किनारों की दुकानों, होटलों और हिप्पियों के बालों में सजे हुए देखते हैं। हमारे पूर्वजों के लिए कौड़ियां रखने वाले आज के जमाने के ये लोग बहुत धनी होते।
इसी तरह, महाभारत के काल में मवेशी एक विनिमय की वस्तु थे। क्या प्राचीन लोगों ने सोचा होगा कि आने वाले समय में लोगों के पास एक चौकोर सा दिखने वाला प्लास्टिक का टुकड़ा होगा जिससे वह अनाज से लेकर हवाई जहाज तक कुछ भी खरीद सकेंगे? उन्होंने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि एक समय आएगा जब धन सांकेतिक भाषा के डेटा में बदल जाएगा।
इसलिए इस बात को हमेशा याद रखें: धन मात्र एक अवधारणा है, यद्यपि यह मानव चेतना की सबसे महान अवधारणा है। यह पूरी दुनिया पर राज करती है और हमारी जिंदगी को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है। बहुत से लोग कहते हैं कि अगर धन को समझ लिया तो समझो जिंदगी को समझ लिया।
उर्दू का एक शेर है कि: पैसा ख़ुदा तो नहीं पर, ख़ुदा की कसम, ख़ुदा से कम भी नहीं। एक और कहावत है कि पैसा आपके लिए खुशियां नहीं खरीद सकता, लेकिन जैसी चाहें वैसी मुसीबत ज़रूर खरीद सकता है!
सच कहूं तो मुझे लगता है कि पैसे का दांव-पेंच तो जीवन भर का खेल है जिसे लोग खेलना पसंद करते हैं। यह एक ऐसा खेल है जिसमें ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने का जुनून सवार हो जाता है।
लेकिन हर किसी को यह ध्यान रखना चाहिए कि मरने के बाद जीवन भर की कमाई यहीं छूट जाती है। जैसा कि प्राचीन मिस वासी मानते थे, उस तरह से इस पैसे को दूसरी दुनिया में ले जाने का कोई तरीका नहीं है।